वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग,अद्वैत बोध शिविर<br />२६ जून २०१७<br />औरा रिजॉर्ट, रामनगर, उत्तराखंड<br /><br />यथापकृष्टं शैवालं क्षणमात्रं न तिष्ठति ।<br />आवृणोति तथा माया प्राज्ञं वापि पराङ्मुखम् ॥ १५॥<br /><br />अज्ञानहृदयग्रन्थेर्निःशेषविलयस्तदा ।<br />समाधिना विकल्पेन यदाद्वैतात्मदर्शनम् ॥ १७॥॥<br /><br />अत्रात्मत्वं दृढीकुर्वन्नहमादिषु संत्यजन् ।<br />उदासीनतया तेषु तिष्ठेद्घटपटादिवत् ॥ १८॥<br /><br />~ अध्यात्मोपनिषत<br /><br />प्रसंग:<br />सत्य क्या है?<br />हम परमात्मा से क्यों बिछड़ जाते है?<br />सत्यस्थ होकर कैसे जीए?<br />सत्य के सानिध्य में निरंतर कैसे बने रहें?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते